गोरखनाथ मंदिर में पुलिस पर हमला करने वाले मुर्तजा को फांसी की सजा, NIA कोर्ट ने सुनाया फैसला

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में गोरखनाथ मंदिर में हमले के मामले में दोषी अब्बास मुर्तजा को एनआईए की विशेष अदालत ने सोमवार को मौत की सजा सुनाई। मुर्तजा को अदालत ने यूएपीए, देश के खिलाफ जंग छेड़ने और जानलेवा हमले के आरोप में दोषी ठहराया था। सजा सुनाए जाने के वक्त वह कोर्ट में मौजूद था। इससे पहले शनिवार को एनआईए कोर्ट ने अहमद मुर्तजा को दोषी करार दिया था।

मुर्तजा को सजा का ऐलान होने के बाद यूपी के डीजीपी ने कहा कि लगातार 60 दिन की रिकॉर्ड सुनवाई के बाद आज सजा का ऐलान हुआ। इसमें आईपीसी की धारा 121 के तहत फांसी की सजा और पुलिस पर हमले के मामले में 307 के तहत उम्र कैद की सजा सुनाई गई है। एडीजी ने कहा कि अदालत ने पुलिस के सबूतों को सही माना है। ये दिखाता है कि पुलिस जांच सही थी और देश के खिलाफ जो साजिश थी यूपी पुलिस ने उसको बेनकाब किया।

मामले के 10 महीने बाद आज लखनऊ की अदालत ने फैसला सुनाया। अब्बास मुर्तजा ने 4 अप्रैल 2022 को गोरखनाथ मंदिर में प्रवेश कर सुरक्षाकर्मियों पर हमला किया था। मुर्तजा ने पीएसी के सिपाही अनिल कुमार पासवान पर हमला किया और उससे हथियार छीनने की कोशिश की। जब दूसरे सुरक्षाकर्मी बीच-बचाव करने आए तो मुर्तजा ने उन पर भी हमला कर दिया। इसके बाद वह हथियार लहराते हुए धार्मिक नारे लगाने लगा। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।

जांच के दौरान उसके पास से हथियार, लैपटॉप और उर्दू में लिखी सामग्री बरामद की गई। मामले में डिप्टी एसपी संजय वर्मा ने चार्जशीट दाखिल की थी। एटीएस ने इस मामले में 25 अप्रैल 2022 को अब्बास मुर्तजा को विशेष अदालत में पेश किया थी और रिमांड भी हासिल की थी। इस मामले में सरकार के खर्च पर मुर्तजा के लिए एक वकील नियुक्त किया गया था।

यूपी पुलिस के अनुसार, मुर्तजा मंदिर की सुरक्षा कर रहे दो सिपाहियों से राइफल छीनने के बाद अंधाधुंध फायरिंग की प्लानिंग में था। मामले में गोरखनाथ थाने में सब इंस्पेक्टर की तरफ से एफआईआर दर्ज कराई गई थी। 5 अप्रैल को यूपी एटीएस ने मामले की जांच शुरू की। जांच के दौरान यूपी एटीएस ने यूएपीए का केस दर्ज किया। यूपी एटीएस ने चार्जशीट में आईपीसी की धारा 186, 153A 307, 332, 333, 353,394 के साथ यूएपीए की धारा 16, 18, 20 40 भी लगाई। फिर सप्लीमेंट्री चार्जशीट में देश के खिलाफ जंग छेड़ने की धारा 121, 122 जोड़ी गई। यूपी एटीएस ने अपनी जांच में 27 गवाह पेश किए थे।

गौरतलब है कि इस मामले में आरोपी मुर्तजा के पिता ने दावा किया था कि उनका बेटा मानसिक रूप से बीमार है। मुर्तजा के पिता के अनुसार वो स्टेबल नहीं है और अकेला नहीं रह सकता। पिता ने कहा कि बचपन से वो बीमार था जिसको हम नहीं समझ पाए, लेकिन 2018आते-आते इस बीमारी ने भयानक रूप ले लिया। नौकरी के दौरान भी वह कई महीने बिना सूचना के कमरे में पड़ा रहता था। नौकरी करने नहीं जाता था। उसका इलाज जामनगर और अहमदाबाद में भी करवाया गया।



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